Veer Bal Diwas: A Story From Punjab
छोटे साहिबजादों का जन्म स्थान गुरुद्वारा गुरु के महल, अनंदपुर साहिब
पिता श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और माता जी
साहिबज़ादे श्री अनंदपुर साहिब की धरती पर गुरबाणी - संगीत और शस्त्र-विद्या ग्रहण करते हुए
क्रूर मुगलो द्वारा श्री अनंदपुर साहिब पर हमला
अनंदगढ़ साहिब किले को छोड़ने का दृश्य
उफनती सरसा नदी के तट पर मुगलो से युद्ध
सरसा नदी पर गुरु-पिता से बिछड़ने के बाद माता गुजरी जी और छोटे
साहिबज़ादे
माताजी और छोटे साहिबजादों की पहली रात कुम्मा माशकी जी की कुटिया मेें बीती
गाँव खेड़ी मेें गंगू रसोइए के घर माता जी और छोटे साहिबज़ादे
मोरिंडा के कोतवाल को माता जी और छोटे साहिबजादों की खबर देता हुआ पापी गंगू
मोरिंडा की जेल मेें छोटे साहिबज़ादे और माता गुजरी जी
सूबा-ए-सरहिद ज़ालिम वजीर खान ने माता गुजरी जी और छोटे साहिबजादों को ठंडे बुर्ज मेें कैद किया
अपने पैर आगे करके बिना झुके अदालत मेें बेखोफ़ प्रवेश होते हुए छोटे
साहिबज़ादे
सूबा-ए-सरहिद की अदालत मेें 'वाहेगुरु जी का ख़ालसा॥ वाहेगुरु जी की फतेह॥' बुलंद करते हुए छोटे
साहिबज़ादे
मलेर कोटला के नवाब शेर मुहम्मद खान जिन्होंने छोटे साहिबजादों के पक्ष मेें आवाज़ उठाई
ठंडे बुर्ज मेें छोटे साहिबजादों को दूध पिलाने की सेवा करते हुए भाई मोती राम मेहरा जी
छोटे साहिबजादों को दीवार मेें जिंदा चुनवा देने का फ़तवा सुनाते हुए काज़ी
ख़ूनी दीवार मेें निडर खड़े छोटे साहिबज़ादे जपुजी साहिब का पाठ करते हुए
छोटे साहिबजादों की शहादत का दृश्य गिरी हुई दीवार और छोटे साहिबजादों के पावन शरीर
दीवान टोडरमल जी जिन्होंने छोटे साहिबजादोंऔर माता जी के पवित्र शरीरो का अंतिम संस्कार करने के लिए सोने की मुहरेें खड़ी करके सबसे महंगी ज़मीन खरीदी